कुछ सड़कें खुशी और उम्मीदों की तरफ भी ले जाती हैं,

ये नहीं कहता मैं की बाकी सब दर्द बसाती हैं

पर हर रास्ते का अपना एक फलसफा होता है,

राह चलते राहगीर का मंज़िल पे नाम गढ़ा होता है.

सब राहों का तो कैसे कहूँ पर

कुछ सड़कें खुशी और उम्मीदों की तरफ ले जाती हैं.

 

निकला था कुछ वक़्त पहले, मर्ज़ी से अपनी,

खुद की तलाश में ज़िंदगी बर्करीz होने लगी थी,

की थी दर्क़्हास्त लम्हों से, अर्ज़ी थी अपनी,

इसके पहले ज़िंदगी भी बदतमीज़ होने लगी थी.

 

ये इन सड़कों का भी अपना अलग हिसाब है साहब,

ज़रूरी नहीं के वहीं पहुँचो जहाँ का सोचा था,

सिर्फ़ राहगीर बनके चलते रहना भी कहाँ काफ़ी है साहब,

रास्ता भी सही चुनना था जब पास मौका था.

कुछ के ज़िंदगी में खुशी, कुछ के में ग़म दे जाती हैं,

ये सड़कें नायाब हैं, खुशी और उम्मीदों की तरफ भी ले जाती हैं .

 

कितनों पर इंहिसार करोगे,

खुद पर भी तो ऐतबार करो,

इन सड़कों का अलग ही हिसाब रहा है,

मंज़िल इतनी आसानी से नही मिलती चाहे कोशिश,

एक बार करो या बार बार करो.

 

कुदरत भी अजब है अपने खेल में,

गुंजाइश रहती है इस क़दर कि,

तूफान जैसे बना बनाया उड़ा ले जाए,

मगर उतना ही उलट भी फ़ितरत होती है इनकी,

नसीब अच्छा हो तुम्हारा तो उजड़ा चमन भी,

फास्ल-ए-बहारा कर जाए.

 

ये राह तेरी दोस्त नही, ये सड़क तेरी दुश्मन भी नहीं,

ये तो बस फ़ायदे नुकसान तक का ज़रिया है,

तू जो ढूँढने निकला है, वो तुझे मंज़िल ही नही, रास्ते में भी मिल सकता है,

पहचानने के लिए ज़रूरी बस एक नज़रिया है.

 

किसी ज़ुबान में सड़क का एक नाम उम्मीद भी होता होगा,

तरक़्क़ी और बरक़्क़त के सीधे रास्ते,

उम्मीद से ही तो होकर गुज़रते हैं,

बिना दोनो क कौन इंसान नहीं रोता होगा,

ख्याल दिल ही दिल में ऐसे ही तो सुलगते हैं.

 

ये सड़कें भी हर बार यही कह जाती हैं,

मुझ पर इतना भी मत ऐतबार कर,

बिना तेरे तकल्लुफ करे पत्ता भी नहीं हिलेगा,

जो तेरे नसीब में होगा वही मिलेगा, कुछ नहीं बदलेगा,

जगह से निकल कर नज़र बदल,

इन सड़कों से काफियों की ज़िंदगी ख़त्म हुई है,

कोई जगह खामोशी और दर्द से परे नहीं है,

 

पर फ़र्क सिर्फ़ उस ज़रिए का है,

पहचानने वाले नज़रिए का है,

कुछ कम सड़कें दर्द निभा जाती हैं,

बची हुई, खुशी और उम्मीदों की तरफ ले जाती हैं,

 

कुछ सड़कें खुशी और उम्मीदों की तरफ ले जाती हैं.