देशभक्ति तेरी, जैसे जलती तीली,
सभी को मिलाना, मशाल बना लेना।
लिखा संविधान शायद सब पढ़ न सके,
ज्ञान मिलाना, मन को गणतंत्र बना लेना।
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उठाने वाले कम, झुकाने वाले ज्यादा,
आत्मसम्मान तेरा टूटने न देना।
बहुत होंगे जो झकझोरेंगे, तोड़ेंगे, मोड़ेंगे,
पर तेरे मन के तिरंगे को झुकने न देना।
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खतरा सरहद पर तनी बंदूकों से है,
पर ज़्यादा तेरी मानसिकता से है।
उसे मानसिकता तेरी मरोड़ने न देना,
इज़्ज़त देश की हो, या इज़्ज़त बढ़ाने वाली की,
पर तेरे मन के तिरंगे को झुकने न देना।
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खामोश वो प्रहरी, क्या तेरा, क्या मेरा,
देश में घर, सरहद पर बसेरा,
चिंता उसके परिवार की, थोड़ी तुम भी कर लेना।
वो देश का तिरंगा उठा रहा है,
तू मन का तिरंगा न झुकने देना।
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भ्रष्टाचार घुसा कर राजनीति के रास्ते,
अखंडता को कचोट रहे हमारी,
न तेरी न मेरी, वकालत देश की कर,
वो रस्सी जो झुका रही सर को,
काटे जज़्बे की तलवार की धारी।
देश और जीवन की प्रगति को रुकने न देना,
तेरे मन के तिरंगे को झुकने न देना।
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